हिंदू धर्म में गुरुवार का दिन साईं बाबा को समर्पित होता है। साईं बाबा के लिए सभी भक्त एक समान हैं। उन्होंने कभी भी धर्म या जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया है। जो भी जातक सच्चे मन से साईं बाबा की भक्ति करते हैं, उनके सभी कष्टों का निवारण हो जाता है। वहीं साईं बाबा का नाम जपने मात्र से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वहीं कुछ जातक गुरुवार को व्रत भी करते हैं, जिससे साईं बाबा की कृपा प्राप्त की जा सके। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको साईं बाबा व्रत के नियम और पूजन विधि के बारे में बताने जा रहे हैं।
ऐसे करें साईं बाबा के व्रत
आप किसी भी महीने के गुरुवार से साईं बाबा का व्रत शुरूकर सकते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए 9 गुरुवार तक लगातार साईं बाबा का व्रत रखना शुभ होता है। व्रत को शुरू करते समय 5, 7, 9, 11 या 21 व्रत का संकल्प करें। मन्नत पूरी होने के बाद उद्यापन करें। गुरुवार व्रत का उद्यापन करने के बाद इस दिन गरीबों को भोजन जरूर कराएं और अपने सामर्थ्य अनुसार दान दें। वहीं गरीबों की सेवा करने से साईं बाबा जल्दी प्रसन्न होते हैं।
साईं बाबा का व्रत नियम
गुरुवार को साईं बाबा का व्रत सच्ची श्रद्धा से शुरू करें।
साईं बाबा के व्रत में मन की शांति का होना बहुत जरूरी होता है। इसलिए दूसरों के प्रति द्वेष की भावना न रखें।
यह व्रत निर्जला नहीं किया जाता है और व्रत अपनी क्षमतानुसार करें।
आप इस व्रत में साईं बाबा की आराधना के बाद फलाहार या फिर एक समय भोजन कर सकते हैं।
अगर किसी कारणवश यह व्रत छूट जाए, तो उसको गिनती में न लें। फिर अगले गुरुवार को व्रत करें।
इस व्रत में साईं बाबा को जो भोग लगाया जाए, वह दूसरों में जरूर बांटे। वहीं अगर प्रसाद बच जाए तो फेंके नहीं और गाय, कुत्ते या किसी अन्य पशु को खिला दें।
गुरुवार पूजा विधि
इस व्रत में पूजा बेहद सादगी और सरलता से की जाती है। इसदिन सुबह जल्दी स्नान आदिकर साईं बाबा के समक्ष व्रत का संकल्प करें।
फिर पीले रंग के कपड़े पहनें, क्योंकि पीला रंग साईं बाबा को अतिप्रिय है।
पूजा के स्थान पर लकड़ी की चौकी रखें और पीला रंग का कपड़ा बिछाएं। फिर उस पर साईं बाबा की तस्वीर स्थापित करें।
अब साईं बाबा की प्रतिमा के समक्ष गी का दीपक जलाएं और साईं बाबा के व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।
फिर साईं बाबा को पीले रंग की मिठाई अर्पित करें और खिचड़ी का भोग लगाएं।
इसके बाद आरती कर सबको प्रसाद बांटें।